आज एक अफवाह ने एनडीटीवी के शेयरों में ऐसा उछाल लाया कि 10 फीसद का अपर सर्किट लग गया। दरअसल मार्केट में यह अफवाह तेजी से फैल रही है कि अडानी ग्रुप एनडीटीवी का अधिग्रहण कर सकता है। कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप दिल्ली स्थित एक मीडिया हाउस का अधिग्रहण करना चाह रहे हैं, जिसे कई लोग NDTV होने का अनुमान लगा रहे हैं। हालांकि इन अटकलों का फायदा एनडीटीवी के शेयरों में साफ दिखा। बता दें NDTV का वित्तीय प्रदर्शन खराब रहा है। कंपनी के प्रमोटर भी कर जांच के दायरे में हैं। हालांकि, पिछले एक साल में शेयर में 130 फीसदी की तेजी आई है।
बीएसई पर आज एनडीटीवी का शेयर 7.20 रुपये उछल कर 79.65 रुपये पहुंच गया। वहीं, एनएसई पर यह 7.25 रुपये की छलांग के साथ 79.85 रुपये पर पहुंच गया। दोनों एक्सचेंजों में आज 10 फीसद का अपर सर्किट लग चुका है।बता दें अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा समूह की मीडिया पहल का नेतृत्व करने के लिए अनुभवी पत्रकार संजय पुगलिया को सीईओ और प्रधान संपादक के रूप में शामिल किए जाने के बाद से बाजार में अडानी का मीडिया क्षेत्र में प्रवेश हो गया है।
कंपनी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा, ”… नयी दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के संस्थापक-प्रवर्तक और पत्रकार राधिका तथा प्रणय रॉय ने एनडीटीवी के स्वामित्व में बदलाव या हिस्सेदारी बेचे जाने के संदर्भ में किसी भी संस्था के साथ बातचीत न तो अभी कर रहे हैं और न की है।” दोनों व्यक्तिगत रूप से और अपनी कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लि. के जरिये एनडीटीवी में कुल चुकता शेयर पूंजी का 61.45 प्रतिशत हिस्सेदारी रखे हुए हैं। एनडीटीवी ने सूचना में कहा कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि शेयर में अचानक से उछाल क्यों आया। उसने कहा, ”एनडीटीवी आधारहीन अफवाह पर लगाम नहीं लगा सकती और न ही इस प्रकार की आधाहीन अटकलों में शामिल होती है।”
पुगलिया इससे पहले क्विंट डिजिटल मीडिया के अध्यक्ष और संपादकीय निदेशक थे। इससे पहले उन्होंने सीएनबीसी-आवाज का नेतृत्व किया। पुगलिया ने हिंदी में स्टार न्यूज़ की स्थापना की। पुगलिया ज़ी न्यूज़ के हेड रहे और आजतक की संस्थापक टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। एक प्रिंट मीडिया के पत्रकार के रूप में उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड और नवभारत टाइम्स के साथ काम किया है। 1990 के दशक के दौरान बीबीसी हिंदी रेडियो में भी उनका नियमित योगदान था।