सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टेलीकॉम कंपनियों में कोहराम मच गया है इन पर मानो जैसे मुसीबत का पहाड़ ही टूट गया हो। कोर्ट के फटकार लगाते ही डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा कि वह आज रात 12:00 बजे से पहले अजस्टेट ग्रॉस रिवेन्यू का भुगतान कर ही दे। टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड रुपए का बकाया है। पहले कोर्ट और अब ड्यूटी के आदेश के बाद वोडा आईडिया जैसी कंपनियों के लिए स्थिति विशेष तौर पर कमजोर होती चली जा रही है। इससे क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बने रह जाने की आशंका पहले से बिल्कुल अधिक हो गई है। इसकी पुष्टि एक विश्लेषक ने की है। दिसंबर 2019 में वोडा आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा था कि अगर सरकार द्वारा आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जाती है तो कंपनी बंद हो जाएगी।
टेलीकॉम कंपनियों में वोडा-आइडिया की स्थिति सबसे ज्यादा बद्दतर हो गई है। कंसलटेंसी फर्म फर्स्ट के निर्देशक महेश उप्पल ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दूरसंचार उद्योग के लिए सबसे बुरी खबर है। इससे वोडा-आईडिया की स्थिति विशेष तौर पर कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बचे रह जाने का जोखिम पहले की तुलना में सबसे अधिक हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनियों के पास किसी उपाय की कम ही गुंजाइश बची हुई है। लेकिन यदि सरकार इसे दीर्घकालिक समस्या माने तो वह नीति में बदलाव पर विचार कर सकती है। एमटीएनएल और बीएसएनएल की हालत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 93000 से ज्यादा कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है।
क्या बंद हो रही है वोडा आइडिया जैसी कंपनियां
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