Vivvan Tiwari: कहा जाता है कि जीवन में खुशियों के लिए रोना भी उतना ही जरूरी है जितना कि हंसना मगर जिंदगी की भाग दौड़ में इंसानों को कई बार रोने तक की फुर्सत भी नहीं होती है। यही वजह है कि इंसान डिप्रेशन में चला जाया करता है। लोगों को इस समस्या से बचाने के लिए गुजरात के सूरत में क्राइंग क्लब शुरू किया गया है। जहां इंसान रोकर अपने दिल का बोझ हल्का कर सकता है। सूरत में स्थित क्राइंग क्लब द्वारा कॉलेज में पढ़ने वाले छात्राओं के लिए एक खास क्राइंग थेरेपी का आयोजन किया गया। जाने-माने लाफ्टर थैरेपिस्ट कमलेश मसलावा और सूरत के डॉक्टरों की टीम द्वारा हेल्थ क्राइंग क्लब की शुरुआत की गई है। उनका कहना है कि लोग दिल खोलकर हंसते हैं पर रोने के लिए एकांत ढूंढा करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी व्यक्ति को सरेआम फूट फूट कर रोना चाहिए रोने से दुख दर्द कम हो जाया करता है साथ ही जो मन में बोझ होता है वह भी हल्का हो जाएगा करता है। क्राइंग क्लब द्वारा लोगों को अपने दिल में हुए दुखों को प्रकट करने का मौका दिया गया है। यहां लोग खुले मन से अपने दुखों को दूसरों के सामने खुले मन से व्यक्त करते हैं। यहां आए हुए लोगों का कहना है कि इस तरह रोने से मन हल्का महसूस होने लगता है। क्राइंग थेरेपी एक वेंटिलेटर थेरेपी है। इसमें व्यक्ति को रुला कर उसके शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है। इंसान की आंख में आंसू उस वक्त आया करते है जब किसी बात को लेकर वह बहुत ज्यादा भावुक होता है। दुख खुशी या फिर ज्यादा हंसने पर आंसू से आपको तकलीफ देने वाला पदार्थ निकल जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक रोने से तनाव भी दूर होता है। ब्लड प्रेशर नॉरमल और ब्लड सरकुलेशन सामान्य रहता है। इंसान का भावुक होना बहुत ज्यादा जरूरी भी है।
जैसे हंसना फायदेमंद वैसे रोना भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद
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