जोशीमठ में हिमखंड के टूटने से भीषण बाढ़, 150 श्रमिकों की मौत की आशंका

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उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूट जाने से धौली गंगा नदी में विकराल बाढ़ आई और पारिस्थितिकीय रूप से नाजुक हिमालय के हिस्सों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक प्रवक्ता ने तपोवन-रेनी में एक विद्युत परियोजना प्रभारी को उद्धृत करते हुए कहा कि परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक मजदूरों की मौत की आशंका है। उन्होंने बताया कि तीन शव बरामद किये गए हैं।

राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए कहा कि बिजली परियोजना पूरी तरह से बह गई है।

पहाड़ों के किनारे पानी के तेज बहाव में आने से रास्ते में आने वाले घर भी बह गए। अधिक आबादी वाले क्षेत्रों सहित नीचे की ओर स्थित मानव बस्तियों में नुकसान होने की आशंका है। कई गांवों को खाली कराया गया है और लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया है।

आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि रेनी गांव के पास एक पुल ढहने के कारण कुछ सीमा चौकियों के साथ सम्पर्क ‘‘पूरी तरह से टूट’’ गया है।

पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून सहित कई जिलों के प्रभावित होने की आशंका है और इन जिलों को हाई अलर्ट पर रखने के साथ ही आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को राहत और बचाव कार्यो में लगाया गया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों की सुरक्षा की कामना की।

राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने के करण क्षेत्र में हुए नुकसान को लेकर काफी चिंतित हूं। लोगों की सुरक्षा और कुशलता की कामना करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्वास है कि वहां राहत एवं बचाव कार्य अच्छे ढंग से चल रहा होगा।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है।’’

इससे पहले दिन में खबर आयी थी कि ऋषि गंगा पर परियोजना में लगे 150 मजदूर प्रभावित हुए हैं।

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