वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का ऐलन बजट में किया है।
बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला बीम उद्योग के साथ आम लोगों को लाभ पहुंचाने वाला है। बीमा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के आने से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है। इसके चलते बीमा कंपनियां बेहतर कवर के साथ सस्ती प्रीमियम पर पॉलिसी की पेशकश कर सकती हैं, जिसका फायदा आम उपभोक्ताओं को मिलेगा। वहीं, बीमा कंपनियों को अपनी जरूरत के लिए पूंजी जुटाने में सहूलियत होगी।
कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी
बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ने से तीन तरह का फायदा और भी होगा। पहला, देश की बीमा कंपनियों में विदेश निवेश बढ़ेगा जिसकी जरूरत अभी बहुत ज्यादा है क्योंकि कोरोना से जूझती बीमा कंपनियों को इससे बड़ी राहत मिलेगी और पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा।
रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे
बीमा कंपनियों में एफडीआई बढ़ने से बीमा क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। साथ ही बीमा के उत्पाद बढ़ने से बीमा खरीदने के अवसर में बढ़ोतरी होगी। जानकारों के मुताबिक एफडीआई बढ़ने से देश में इंश्योरेंस पेनेट्रेशन (जीडीपी में प्रीमियम की भागीदारी) बढ़ेगा जो अभी 3.76 फीसदी है।यानी कि जीडीपी में बीमा क्षेत्र की भागीदारी मात्र 3.76 फीसदी है जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह 7.23 फीसदी है।
आम लोगों को बेहतर सेवा मिल पाएगी
बीमा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के उतरने से नए-नए दफ्तर खुलेंगे जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आएगी। इससे जुड़ी मांग बढ़ेगी और आम लोगों को बीमा कंपनियां बेहतर सेवा मुहैया करा पाएंगी।
बीमा क्षेत्र से हट सकते हैं बैंक
एक अनुमान के मुताबिक, अगले तीन साल में बीमा क्षेत्र में 15 हजार करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी। इसे देखते हुए सरकार ने 74 फीसदी तक एफडीआई बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। सरकारी क्षेत्र के कई बैंक इंश्योरेंस सेक्टर में कई सेवाएं देते हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से बैंकों को कहा गया है कि वे अपने कोर बिजनेस पर ध्यान दें। इससे बैंक इंश्योरेंस सेक्टर से धीरे-धीरे हट सकते हैं। इस फैसले से बीमा कंपनियों को मार्केट में ज्यादा से ज्यादा उतरने का अवसर मिलेगा।
कोरोना वायरस ने बीमा की अहमियत को समझाया
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद सरकार ने लाइफ और हेल्थ, दोनों इंश्योरेंस सेक्टर की अहमियत समझते हुए यह फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से इंश्योरेंस सेक्टर को काफी बढ़ावा मिलेगा और दूर दराज के इलाकों तक इंश्योरेंस कंपनियों की पहुंच बढ़ सकती है।