प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शनिवार को कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ शुरू किए गए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत शनिवार को पहले चरण में भारत में अग्रिम मोर्चों पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई।
इसके साथ ही 10 महीनों में लाखों जिंदगियों और रोजगार को लील लेने वाली इस महामारी के खात्मे की उम्मीद जगी है।
भारत में करीब एक करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 1.5 लाख लोगों की मौत के बाद भारत ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहला कदम उठाया है और देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण किया जा रहा है ।
स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, भाजपा सांसद महेश शर्मा और पश्चिम बंगाल के मंत्री निर्मल माजी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई।
पॉल कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरण एवं प्रबंधन को लेकर गठित अधिकार समूह के प्रमुख भी हैं।
अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कहा कि टीके की दो खुराक लेनी बहुत जरूरी है और इन दोनों के बीच लगभग एक महीने का अंतर होना चाहिए।
उन्होंने टीका लेने के बाद भी लोगों से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और ‘‘दवाई भी, कड़ाई भी’’ का मंत्र दिया।
उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया’ टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है।
मोदी ने कहा कि टीका देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत सुनिश्चित करेगा।
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को हुई तकलीफों, अपने प्रियजनों को खोने और यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल ना हो पाने के दर्द का जिक्र किया।