सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से परामर्श किए बिना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त करने की पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि यह कानून का दुरुपयोग होगा। हालांकि, न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को पुलिस सुधार से संबंधित मुख्य मामले में पक्षकार बनने की इजाजत दे दी।
राज्य सरकार ने पुलिस सुधारों को लेकर ‘प्रकाश सिंह’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश में संशोधन को लेकर हस्तक्षेप याचिका दायर की है।
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि पुलिस अधिकारियों की निगरानी का राज्य सरकार को अधिकार होता है। लेकिन शीर्ष अदालत का नकारात्मक रुख देखकर उन्होंने याचिका वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध खंडपीठ से किया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया।
सुनवाई के दौरान पुलिस सुधार मामले के मुख्य याचिकाकर्ता प्रकाश सिंह की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय से सुनवाई यथाशीघ्र सुनने का अनुरोध किया, इस पर खंडपीठ ने अक्टूबर में सुनवाई का निर्णय लिया। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की थी कि राज्य सरकार को बिना संघ लोक सेवा आयोग के दखल के डीजीपी नियुक्त करने की अनुमति दी जाए।